सुप्रीम कोर्ट के आदेश से सरकारी विद्यालय के छात्रों को Mid Day Meal दी जाती है। पोषणयुक्त मध्याहन भोजन कक्षा KG से 8 तक के विद्यार्थियों को दी जाती है। Mid Day Meal का नाम बदलकर अब “प्रधानमंत्री पोषण शक्ति निर्माण योजना” कर दिया गया है। यह प्रतिदिन मध्यांतर घंटी में दी जाती है। इसके लिए रसोईया की नियुक्ति की गई है। इस योजना को सुचारु रूप से संचालन करने के लिए विद्यालय द्वारा “माता समिति ” कमिटी का गठन किया गया है। इस कमिटी का सर्वेसर्वा माता समिति की संयोजिका और विद्यालय प्रबंधन समिति के अध्यक्ष होते है।
Mid Day Meal Menu क्या है ?
प्रधानमंत्री पोषण शक्ति निर्माण योजना के तहत Mid Day Meal Menu में प्रतिदिन अलग-अलग खाना होती है। सप्ताह में दो दिन अंडा दी जाती है। जो बच्चे अंडा का सेवन अपने आहार में नहीं करते है उन्हें अंडा की समतुल्य राशि के मौसमी फल प्रदान करने का आदेश है। मध्याहन भोजन की साप्ताहिक मेनू विवरणी इस प्रकार है –
मड़ुआ का लडडू (Madua ka Laddu)
कुपोषण से बचने के लिए झारखण्ड सरकार ने सभी स्कूलों को सप्ताह में एक दिन बुधबार को पूरक पोषाहार में मड़ुआ का लडडू या हलुआ देने का निर्देश दिया है। मड़ुआ एक मोटा अनाज है। इसके फायदे अनेक होते है।
मिड डे मील का नया नाम (Mid Day Meal New Name)
Mid Day Meal (मध्याहन भोजन) का नाम केंद्र सरकार द्वारा बदल दी गई है। अब यह “प्रधानमंत्री पोषण शक्ति निर्माण योजना” हो गया है।
MDM की नई दरें (Rates of mdm )
सरकार द्वारा समय समय पर Mid Day Meal (MDM) की राशि में बढ़ोत्तरी की जाती है। यह बढ़ोत्तरी जुलाई माह में होती है। फिलहाल 2 वर्षों से कोई बढ़ोत्तरी नहीं की गई है। वर्तमान में कक्षा KG से 5 तक के लिए प्रति विद्यार्थी 5 रूपया 45 पैसा तथा कक्षा 6 से 8 तक के लिए 8 रूपया 17 पैसा निर्धारित है। इतनी ही राशि में पौष्टिक और गुणवत्ता पूर्ण भोजन देना है। अंडा के लिए 6 रूपया निर्धारित है। मड़ुआ का लडडू या हलुआ के लिए 4 रूपया 15 पैसा निर्धारित है।
Mid Day Meal Scheme से परेशानी
प्रधानमंत्री पोषण शक्ति निर्माण योजना के तहत प्रतिदिन मध्याहन भोजन का व्यवस्था करना आसान काम नहीं है। शहरों की अपेक्षा ग्रामीण इलाकों के विद्यालयों में काफी दिक्कतें होती है। खास करके ताज़ा सब्जी और गैस सिलेण्डर आसानी से उपलब्ध नहीं होते है। समस्त व्यवस्था अप्रत्यक्ष रूप से शिक्षक करते है क्योकि जब करवाई करनी होती है तब विभाग का गाज शिक्षकों पर गिरती है। सरकार द्वारा निर्धारित तय राशि से अधिक महंगाई रहती है। उदाहरण के तौर पर अंडा की राशि 6 रूपया निर्धारित है जबकि एक अंडा 7 रूपया या उससे अधिक होती है। बाजार में सामग्रियों का भाव अमूमन बढ़ता ही है।