पाकड़ के पेड़ में पत्ते झड़ने के पश्चात् नयी कोपलें निकलती है। इसी कोपल को फुटकल साग (Futkal Saag) कहा जाता है। फुटकल साग वर्ष के कुछ ही दिन फरवरी और मार्च महीने के मध्य तक मिलती है। अति गुणकारी होने के कारण इसे तोड़कर सुखाते है और सालों भर खाते है। इसके पेड़ बड़े होते है और कोपलें डाली के अगले छोर पर निकलती है। पाकड़ पेड़, पीपल पेड़ का ही एक वेराइटी है। कोपल स्वाद में कासापन होता है इसलिए इन्हे उबालकर सुखाया जाता है ताकि इसके कासापन को हटाया जा सके। इन्हे बनाने और खाने की कई सारी विधियां है।
फुटकल साग बनाने की सरल देहाती विधि
फुटकल सिर्फ साग ही नहीं अपितु उत्तम स्वास्थ्य और दीर्घायु होने का जादुई खजाना है। गांव देहातों के प्रचलित विधि में बनाकर खाने से ज्यादा लाभ मिलती है।
चटनी
इस साग से चटनी ,आचार , सब्जी और साग माड़ बनाया जाता है। चटनी के लिए कच्चा फुटकल को उबालें । उसके बाद सील लोढ़ी या मिक्सी से हरा मिर्च, लहुसन , नमक और प्याज डालकर पीसें । पीसने के बाद पूर्व से गरम किया हुआ सरसों का तेल को उचित मात्रा में मिला दीजिए। अब चटनी बनकर तैयार है। सूखा फुटकल साग (Futkal Saag) का चटनी के बनाने लिए 10 मिनट पानी में भिंगायें। उसके बाद छानकर पूर्व की भांति सभी सामग्रियों को मिलाकर मिक्सी या अन्य पीसने वाले से पीस दीजिए। अब आपका चटनी तैयार है।
साग माड़
साग माड़ बनाने के लिए फुटकल साग (Futkal Saag) को चावल का माड़ के साथ उबला जाता है। इसे देहातों और गरीबों का दाल कहा जाता है। इसी का आधुनिक स्वरूप सुप है। इसको बनाना सबसे आसान है और ये बेहद कम समय व कम खर्च में बनती है। सबसे पहले चावल का माड़ उबालिये । उबलते माड़ में फुटकल साग के चूर्ण , टमाटर काटकर और स्वादनुसार नमक मिक्स कीजिये । 10 मिनट बाद गरम तेल में पांचफोड़न , लाल मिर्च डालकर छोंक दीजिए। साग माड़ तैयार हो गया। इसको चावल के साथ या सूप के रूप में पी सकते है।
आचार
आचार भोजन की स्वाद को कई गुना बढ़ाती है। फुटकल साग की आचार अत्यंत स्वादिष्ट होती है। इसको बनाने की विधि सामान्य आचार की भांति ही है। सर्वप्रथम फुटकल को उबालिये। उबालने से इसका कासापन दूर होता है। कुछ देर उबलने के बाद पानी सूखने के लिए 4 घंटे धुप में रख दीजिये। उसके बाद लाल सरसों का दाना, जीरा और सौंप को भूनिये। भुनने के बाद इसे पीस दीजिए। अब कांच का साफ़ जार में फुटकल साग (Futkal Saag) ,लहुसन-अदरक का पेस्ट, हरा मिर्च, आचार मशाला , स्वादनुसार नमक, हल्दी और पिसा हुआ मशाला को मिक्स कर दीजिए। 5 से 6 दिन तक धुप में रखें। अब आचार बनकर तैयार है।
फुटकल साग (Futkal Saag) के फायदे
ये साग नहीं सेहत का खजाना है। कई रोगों में अचूक रामबाण है। इसकी जादुई पोषक तत्व से स्वास्थ्य बेहतर और कुपोषण दूर होती है। इस साग में विटामिन A ,C और B12 बड़ी मात्रा में पाई जाती है। पेट के सभी तरह की गंभीर से गंभीर रोग को जड़ से ख़त्म करती है। कब्ज , बदहजमी , गैस बनना , बार बार पेट में दर्द होना , पेट फूलना आदि के लिए बहुत उपयोगी है। इसमें कैल्शियम पायी जाती है ये हड्डियों को लोहे सा मजबूत बनाती है। दांत झड़ने से रोकती है। विटामिन A के कारण रतौंधी से सुरक्षा प्रदान करती है। फुटकल साग माड़ एसिडिटी को दूर करती है। रक्तचाप को कण्ट्रोल करती है। बेड कोलेस्ट्रॉल बढ़ने से रोकती है।
सारांश
साग कोई भी हो हमेशा फायदेमंद होती है लेकिन फुटकल साग सिर्फ सेहत ही नहीं बनाती है बल्कि एक प्रचलित दवा है। इससे कई तरह के रोगों का उपचार होता है। गर्मियों के दिनों में इसको आहार में अवश्य शामिल करना चाहिए। इसकी तासीर ठण्ड होती है। फुटकल साग (Futkal Saag) सुपाच्य होती है साथ ही पाचन क्रिया को भी ठीक करती है। इसलिए इस साग को घर में सुखाकर रखना चाहिए और सालो भर किसी न किसी प्रकार से खाने में उपयोग करना चाहिए।
उम्मीद है फुटकल साग की सभी जानकारी प्राप्त हो गयी होगी।
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