प्रारंभिक शिक्षकों का एक ऐसा संघ जिसे हर शिक्षक जुड़ना चाहते है। अखिल झारखण्ड प्राथमिक शिक्षक संघ। संक्षिप्त में इसे AJPTA कहा जाता है। नियुक्ति तिथि से ग्रेड वन हो या ग्रेड सेवन की लड़ाई तक अभी तक का सफर बेहद संघर्षमयी रहा है।
अजाप्टा ( AJPTA) की 24 साल की कहानी में खट्टी मिट्टी यादें ही जीवंत बनाती है। इसमें अप्रशिक्षित शिक्षकों की नियुक्ति ,वेतनमान तत्पश्चात् उच्च योग्यताधारी शिक्षकों को प्रशिक्षित वेतनमान मिलना ही ग्रेड वन की लड़ाई का मजबूत आधार बना। संघर्ष का दौर शुरु हुआ,अंततोगत्वा वेतनमान मिला।
मारामारी शुरु हो गयी,होड़ मच गयी जिलों में वांछनीय ग्रेडों में लंबित प्रोन्नति को लेकर।2015-16 में कुछ जिलों में हुई और कुछ जिलों में पदरिक्तता के सापेक्ष में रिक्तता की तिथि से।
इसी बीच विभाग द्वारा 06-08 शिक्षकों की बहाली हुई,प्रोन्नति नियमावली जो पूर्व के शिक्षकों के लिये अक्षुण्ण था,उसपर अपना दावा पेश किया गया।परिणति मामला कोर्ट का चक्कर लगा रहा है।छठे वेतनविसंगति के आलोक में इन्ट्री पे स्केल 16290 करने हेतु वित्त विभाग का खूब चक्कर लगाया गया, आश्वासन मिला पर परिणाम ढ़ाक के तीन पात साबित हुआ।
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बिहार के शिक्षकों एवं इस राज्य के अन्य कर्मियों की तरह वृत्ति उन्नयन ‘एमएसीपी’ की मांग खूब जोर पकड़ा फिर धड़ाम सा फर्श पर आ गया।
उक्त दोनों मांगों पर शीर्ष नेतृत्व का प्रयास सराहनीय कहा जा सकता है।
रांची मांडर जिले से आनेवाले उमेश कुमार का कहना है कि अजाप्टा ( AJPTA) का आरंभ का दौर काफी उल्लेखनीय रहा है।प्रखंड स्तर से जिला स्तर पर हल्ला बोल किया है लेकिन आज उदासीन सा माहौल है।
गुमला जिले के विजय प्रसाद का कहना है कि अजाप्टा ( AJPTA) के शीर्षनेतृत्वकर्ताओं में घोर समन्वय का अभाव देखा जा रहा है जिसके कारण संघर्ष में अपेक्षित परिणाम नहीं मिल रहा है।
पश्चिमी सिंहभूम के शिक्षक कमलेश पांडेय ने रोषपूर्ण कहा कि शिक्षक राष्ट्र के धुरी है।चुनाव, जनगणना से लेकर मतगणना तक शिक्षकों के कंधों पर है लेकिन तीस वर्षों के सेवा में प्रोन्नति नहीं मिली है और न ही एमएसीपी,वेतनविसंगति तो कहानी बन गयी।
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चतरा के विश्वनाथ प्रसाद ने कहा कि संघ के 24 साल और सेवा के 30 साल अभी तक अतिरिक्त वेतनवृद्धि के नाम पर ठनठन गोपाल।
पलामू के राजेश कुमार गुप्ता ने कहा किअजाप्टा ( AJPTA) के 24 सालों में सबसे बड़ी उपलब्धि यह है कि पंचायती राज अधिनियम तहत पंचायतों से वेतनभुगतान और छुट्टी लेने जैसे विषयों पर संघ का रोल सराहनीय रहा है।
उत्क्रमित विद्यालयों में पद का सृजन नहीं होना, एमएसीपी नहीं मिलना अवश्य चिंताजनक है लेकिन संघ सदैव आईना दिखाकर संघीय धर्म का पालन किया है।