एक परिचय
मड़ुआ जिसको रागी भी कहा जाता है। इसकी गिनती मोटा अनाज में की जाती है। ये पौष्टिकता से परिपूर्ण होती है। देखने में ये हलके काले रंग के होते है लेकिन ये गुणों का भण्डार है। झारखण्ड सरकार ने पोषणयुक्त इस मड़ुआ (रागी) को सभी प्राथमिक स्कूलों के पूरक पोषाहार के मेनू में अनिवार्य कर दिया है। इसको कई तरीकों से खाया जाता है। पूर्व में इससे गरीबों का अनाज कहा जाता था।
मड़ुआ (रागी) का लडडू बनाने की विधि –
लडडू कई प्रकार के होते है। बड़ी और छोटी महीन दाना का सामान्य लडडू , नारियल लडडू , गुड़ का लडडू , मैदा का लडडू, मुढ़ी का लडडू , बादाम लडडू आदि-आदि । लेकिन आज मड़ुआ का लडडू बनाने की जानकारी प्रदान करें। इस लडडू को खाते ही चेहरे की लालिमा में निखार आ जाएगी। लडडू बनाने की सामान्य विधि निम्नवत है –
- सर्वप्रथम गर्म कढ़ाही में घी या कोई खाद्य तेल डालें।
- घी या तेल गर्म होने के बाद के बाद तेज़ पत्ता डालें।
- उसके बाद 5 कप मड़ुआ का आटा डालें।
- हलकी आंच में आहिस्ता-आहिस्ता आटा को चलाते रहेंगे ताकि आटा कढ़ाही में चिपके नहीं।
- 5 से 10 मिनट चलाने के आटा में गुड़ या चीनी का घोल डालें।
- अब फिर से धीरे धीरे लगातार चलते रहें। चलाते वक़्त ध्यान दें की मड़ुआ में गांठ न बन पाये ।
- गुड़ या चीनी का घोल ज्यादा मात्रा में नहीं डालें। इतना ही डालें की केवल आटा भींग सके। ज्यादा मात्रा में डालने से आटा तरल बन जाएगी और लडडू नहीं बन पायेगी।
- ध्यान रहे घोल डालने के बाद चूल्हा का आंच बिल्कुल कम रहे।
- अलग से पानी डालने की आवश्यकता नहीं है।
- जब मड़ुआ वर्तन में पूरी तरह से चिपकने लगे तो समझ जाइये की लडडू बनने के लिए तैयार है।
- उतारने समय भुना मूंगफली दाना का बारीकी टुकड़ा , काजू टुकड़ा और सौंप छिड़क दीजिये।
- ठंडा होने के बाद सुविधानुसार हाथ से लडडू बनाया जा सकता है।
- अब बहुत ही स्वादिष्ट और पौष्टिकता से परिपूर्ण लडडू बनकर तैयार है।
- मड़ुआ का लड्डू गरमागरम खाने में ज्यादा आनंद आता है। खुद खाइये और मेहमान को भी खिलाइये ।
मड़ुआ का लडडू खाने के फायदे
मड़ुआ है ही फायदेमंद चीज। इसे उत्तम टेस्ट के साथ स्वास्थ्य भी उत्तम बनी रहेगी। अनेक रोगों के एक दवा है मड़ुआ। इसमें फाइबर, मिनिरल्स और प्रोटीन बहुतायत मात्रा में पाई जाती है। डाइबिटीज का अचूक रामवाण है। कई रोगों का जड़ बेड कोलेस्ट्रॉल को कम करता है। कोलेस्ट्रॉल कम होते ही कई सारे रोग स्वतः ख़त्म हो जायेंगे। रक्त चाप को सामन्य रखने में मदद करता है। मड़ुआ से पाई जाने वाली कैल्शियम हड्डी को दरकने और टूटने से बचाती है अर्थात हड्डियों को फौलादी मजबूती प्रदान करता है।
मड़ुआ खाने की देहाती विधि –
पहला विधि -सामान्यतया मड़ुआ का प्रयोग रोटी या छिलका बनाने में किया जाता है। आज आपको खाने की देशी देहाती तरीका का जानकारी देंगे जिससे खाने का जायका तो बढ़ेगी ही साथ में फायदा ज्यादा मिलेगी। मड़ुआ को रोटी बनाने के जैसा पानी से गूँथकर उसमे स्वादनुसार नमक , मिर्च और बारीकी कटा हुआ प्याज को मिक्स कर दीजिए। अब सखुआ के पूरा पत्ता में आटा को लपेट दीजिए और ऊपर से भी एक पत्ता से ढक दीजिए । वर्तन में पानी उबालिये । उबलता पानी पर पत्ता में लपेटा हुआ आटा को डाल दीजिए। ऐसा लपेटकर 2-3 एक साथ डाल सकते है। अब वर्तन को ढक दीजिए। 15 मिनट उबलने के बाद उतार दीजिए। ठण्डा होने के बाद पत्ता हटाकर खाइये। बेहद ही स्वादिष्ट और गुणकारी आपके मुँह के साथ स्वास्थ्य को भी बढ़िया करेगी।
दूसरा विधि यह है की उपरोक्त की तरह हूबहू विधि से पत्ता लपेटकर तैयार कीजिए। इस बार नमक, मिर्च,कटा हुआ प्याज के साथ थोड़ी मात्रा में मिक्स सब्जी मशाला को मिला दीजिए। अब इस पत्ता को आग की अंगीठी में ढक दीजिए। आग की मात्रा पत्ता के नीचे और ऊपर दोनों छोर पर होनी चाहिए। 10 मिनट बाद उससे पलट दीजिए और पुनः आग में ढक दीजिए। ध्यान रहे आग हल्की रहे वरना पत्ता को जलाकर राख कर देगी। सबसे अच्छा होता है की आग डालने के पूर्व पत्ता के ऊपर में हलकी सी राख डाल दीजिए। इससे पत्ता जलेगी नहीं और अच्छे से पकेगी भी। पलटने के 10 मिनट बाद निकालकर खाइये। पत्ता की बहुत बेहतरीन खुशबूदार मड़ुआ का जायकेदार खाना से पेट भरेगा लेकिन मन नहीं भरेगा।
तीसरा विधि – ऊपर के अनुसार ही गुंथा हुआ मड़ुआ की आटा में सभी कुछ मिक्स कर दीजिए। रोटी की तवा में तेल या घी डालकर गरम कीजिए। गरम होने के बाद उसमे गुंथा हुआ आटा को हाथों की अँगुलियों से तवा के चारो और फैला दीजिए। ज्यादा मोटाई में नहीं रखें। 5 से 7 मिनट बाद उससे पलट दीजिये। पलटने के 3-4 मिनट बाद उतार दीजिए। अब एक और मड़ुआ का वेराइटी बनकर तैयार है। आप इससे मटन ,चिकेन या मछली के साथ के खाइये फिर देखिये मज़ा। अंगुली चाटने का मन करेगा।
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